सच सच बताओ !
एक उम्र गुज़ार के आए हो ! सच बताओ ! क्या ख़्वाहिशों को मार कर आए हो ? चेहरे की झुर्रियों पर, निशाँ बाक़ी है आँसुवों के ! सच सच बताओ ! क्या सब कुछ, हार आए हो ? पूरा मयखाना एक बंजर गाँव कर आए हो ! सच बताओ ! क्या हाल-ए-दिल बँया कर आए हो ? राह में चल रहे हो काफ़ी लड़खड़ा कर ! सच सच बताओ ! क्या दर्द और दारू, दोनो बेशुमार पी आए हो ? अच्छे खासे बदनाम हो आए हो ! सच बताओ ! ऐसा क्या काम कर आए हो ? तुम्हारे होंटो की मुस्कुराहट कंही गुम सी है ! सच सच बताओ ! क्या इश्क़ के हाथों, ख़ुद को नीलाम कर आए हो ? इन रस्मों रिवाजों को काफ़ी पीछे छोड़ आए हो ! सच बताओ ! क्या अपने सारे रिश्ते तोड़ आए हो ? ना हाथ में राखी है ना ही माँ का दिया टिफ़िन ! सच सच बताओ ! क्या चंद पैसे कमाने के लिए अपना घर-बार छोड़ आए हो ?