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सच सच बताओ !

एक उम्र गुज़ार के आए हो ! सच बताओ ! क्या ख़्वाहिशों को मार कर आए हो ? चेहरे की झुर्रियों पर, निशाँ बाक़ी है आँसुवों के ! सच सच बताओ ! क्या सब कुछ, हार आए हो ? पूरा मयखाना एक बंजर गाँव कर आए हो ! सच बताओ ! क्या हाल-ए-दिल बँया कर आए हो ? राह में चल रहे हो काफ़ी लड़खड़ा कर ! सच सच बताओ ! क्या दर्द और दारू, दोनो बेशुमार पी आए हो ? अच्छे खासे बदनाम हो आए हो ! सच बताओ ! ऐसा क्या काम कर आए हो ? तुम्हारे होंटो की मुस्कुराहट कंही गुम सी है ! सच सच बताओ ! क्या इश्क़ के हाथों, ख़ुद को नीलाम कर आए हो ? इन रस्मों रिवाजों को काफ़ी पीछे छोड़ आए हो ! सच बताओ ! क्या अपने सारे रिश्ते तोड़ आए हो ? ना हाथ में राखी है ना ही माँ का दिया टिफ़िन ! सच सच बताओ ! क्या चंद पैसे कमाने के लिए अपना घर-बार छोड़ आए हो ?

आ बैठ !

आ बैठ ! क़िस्से पुराने सुनाते हैं ! चल फिर से ! काग़ज़ की क़स्ती और मिट्टी के मकां बनाते है !! आ बैठ ! अपना बचपन गुनगुनाते हैं ! चल फिर से ! वो स्कूल की घंटी सुनकर भाग जाते हैं !! आ बैठ ! इस भागदोड़ भरी ज़िंदगी को भुलाते हैं ! चल फिर से ! वो अम्मा की गोद में सर रखकर सो जाते हैं !! आ बैठ ! कुछ संगीत पुराना गाते हैं ! चल फिर से ! दादाजी का वो रेडीयो पुराना बजाते हैं !! आ बैठ ! क़िस्से पुराने सुनाते हैं ! आ बैठ ! क़िस्से पुराने सुनाते हैं !