दिल की बात दिल से दिल को बतानी है

दिल की बात दिल से दिल को बतानी है
दो पल की ये तेरी मेरी ज़िन्दगानी है
पहले पल में हम तुम इक-दूजे की जान थे
वंही दूजे पल हम तुमसे अंजान थे

तू सागर के गर्भ की एक छोटी लहर और में दूर कंही एक किनारा
माना तेरी मुझ तक पहुंच नही फिर भी इस दिल ने तुझे पुकारा
तू चाहत रखना मुझ तक आने की में देख लूंगा जग सारा
में सबसे जीता हूँ अब तक बस तेरी चाहत से हु में हारा

ना में कंही गलत रहा और ना तुम्हारी कोई गलती रही
में पत्तो की तरह बिखरता रहा और तू हवा सी चलती रही
मेरा वजूद वंही रहा सिसकता रहा बिलखता रहा
पर तू तेज हवा सी अपने आशियाने बदलती रही

मुझे गम नही की तेरा आशियाना अब मुझसे दूर है
बस सोचता हूं इस पागल दिल का क्या कसूर है
सपने थे तुझ संग दुनिया बसाने के
अब शायद में भी मजबूर हूँ और तू भी मजबूर है

ये एक प्यार का नगमा है और मौजों की रवानी है
हर टूटे दिल की होती एक कहानी है
दिल की बात दिल से दिल को बतानी है
दो पल की ये तेरी मेरी ज़िन्दगानी है
दो पल की ये तेरी मेरी ज़िन्दगानी है

Comments

Popular posts from this blog

यूँ फैली है चारों तरफ वो...मुझको मुझसे चुरा लेती है!!!

Khwabo ki duniya

Manzar Ajeeb Sa Dekha Hai