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Showing posts from July, 2017

Moment Of Life - 4

1. Mene har chiz aazama li,pr tujhe na bhula ska Mene har yaad mita di,pr tujhe na bhula ska Bchpna knhu nadani knhu ya pagalpan Mene meri jaan luta di,pr tujhe na bhula ska 2. Resham si h uski adayen Jo koi dekhe,pal me fisl jaye Ab kya kre yaaro tum hi btao Pal pal jiye ya ek pal me mar jaye 3. Bchpna abhi bhi hai,par tu manti nhi Thodi si khadush bhi hai,pr tu janti nhi Itni resham bhi na bno ki,sb hatho se fisl jaye Fir mile hm saalo bad,or kho ki phchanti nhi 4. Parwat jesa ho gya dard ,Ab koi manjhi chahiye Manzil ho gai h dur bahut,milkha jesa mujhko sathi chahiye Yun mukkml nhi zindgi Lgta h ab Mujhko bdlna chahiye , mujhko badlna chahiye

यूँ फैली है चारों तरफ वो...मुझको मुझसे चुरा लेती है!!!

ये फिजाओं की गुस्ताखियां दिल को खंगाल देती है उसकी नजरो की मदमस्तियाँ मुझको संवार देती है यूँ फैली है चारों तरफ यादें उसकी में बांहे भी फैलाऊँ तो वो(यादें) गले लगा लेती है । कि मासूम सी वो ख्वाबों का आशियाँ बना लेती है अपनी ख्वाहिशो को वो बड़े प्यार से खुद में समा लेती है यूँ फैली है चारों तरफ होशियारी उसकी में छुपना भी चाहूं तो वो दिल मे छुपा लेती है कि देखे जो कोई घूरकर, वो पलके झुका लेती है आसमानों में रहती है,पर जमीं पर ही सो जाती है यूँ फैली है चारो तरफ सादगी उसकी में भूखा रह जाउँ तो वो पगली खुद भी नही खाती है। जो गुजरे वो किसी बाग से,फूलों में रंग भर जाती है गर..मायूस हो मन, तो उसे शहर कर जाती है यूँ फैली है चारो तरफ खुशबू उसकी में आंखे बंद भी करलू तो ख्यालों में आ जाती है । खुद से बाते करती है और खुद में खो जाती है वो चंचल नटखट पागल लड़की बड़ी याद आती है यूँ फैली है चारों तरफ नादानियां उसकी में रोना भी चाहूं तो वो पगली , हंसा जाती है हंसा जाती है , हंसा जाती है...वो पगली 

तू म्हारी गणगोर,म्हारे कालजे री कोर (Rajasthani)

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एक तू ही जाणे थारी प्रीत बसी रग रग म हिवड़े सु हिवड़ो मिलायो हु थार संग म तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर दिवाळी री फुलझड़ी सी तू होल्यां रो रंग म थारी पायल री झणकार म्हारो जीवड़ो जलावे आ परदेश री नॉकरी आब आंख न भाव तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर तू तड़पे है म जाणु, पण नींद मन भी ना आव बे सावण रा काळा बादळीया बा खेता री हरियाळी याद आवे बा थार हाथ स्यु बनेड़ी रोटी खेताळी तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर म कट कट जाऊ थार स्यु जियां म बाजरो ओर तू दंताळी थारी यादां छेड़ मन , सुबह शाम ओर रात म दिल हिचकोला खाव म्हारो, होणो चावे साथ म तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर तू है म्हार सु दूर,खुद न किंया समझावू आ बात म