तू म्हारी गणगोर,म्हारे कालजे री कोर (Rajasthani)

एक तू ही जाणे थारी प्रीत बसी रग रग म
हिवड़े सु हिवड़ो मिलायो हु थार संग म
तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर
दिवाळी री फुलझड़ी सी तू होल्यां रो रंग म

थारी पायल री झणकार म्हारो जीवड़ो जलावे
आ परदेश री नॉकरी आब आंख न भाव
तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर
तू तड़पे है म जाणु, पण नींद मन भी ना आव

बे सावण रा काळा बादळीया बा खेता री हरियाळी
याद आवे बा थार हाथ स्यु बनेड़ी रोटी खेताळी
तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर
म कट कट जाऊ थार स्यु जियां म बाजरो ओर तू दंताळी

थारी यादां छेड़ मन , सुबह शाम ओर रात म
दिल हिचकोला खाव म्हारो, होणो चावे साथ म
तू म्हारी गणगोर , म्हारे कालजे री कोर
तू है म्हार सु दूर,खुद न किंया समझावू आ बात म

Comments

Popular posts from this blog

Papa Suno, Naaraj hu me aapse....

Ek din ye shahar bhi chhut jaayega

Neend : नींद