Aaj Baarisho Se Mulakaat Hui Thi Meri


आज बारिशों से मुलाक़ात हुई थी मेरी 
एक एक बूँद का क़िस्सा वो मुझे सुनाए जा रही थी 
की केसे उसकी बूँदे सिर्फ़ तुम्हें छुए जा रही थी
कि केसे वो तुम्हारे केशूवों में अपना आशियाना ढूँढे जा रही थी
कि केसे तुम उनकी छम छम की आवाज़ के साथ झूमे जा रही थी 
कि केसे उसकी बूँदे तेरे गालों से होते हुए तेरे होंटो को चूमे जा रही थी
कि केसे उसकी बूँदे छूके तेरे बदन को, महकने लगी थी
कि केसे देके धोखा वो बादलों को तुझमें ही सिमटने लगी थी
कि केसे वो पाके तुझे, मोतियों की तरह चमकने लगी थी
की केसे उस सर्द से मौसम में तुम गरम शोले सी दहकने लगी थी 

आज बारिशों से मुलाक़ात हुई थी मेरी 
एक एक बूँद का क़िस्सा वो मुझे सुनाए जा रही थी 
सुना है तेरे लबों पर अक्शर नाम मेरा जाता है 
जब भी गिरती है बूँदे लबों पे तेरे, दिल तेरा रुक जाता है
तुम लेके बारिश की बूँदो को हथेली पर, कहती हो उनसे
की जाके कहदो महबूब से मेरे कि वो बहोत याद आता है 
हाँ वही बारिश की बूँदे आज क़िस्से तेरे सुनाए जा रही थी
वो भी लग के लबों से मेरे तेरे होने का ऐहसास दिलाए जा रही थी
आज बारिशों से मुलाक़ात हुई मेरी
एक एक बूँद का क़िस्सा वो मुझे सुनाए जा रही थी 
आज बारिशों से मुलाक़ात हुई मेरी

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